सारिका भाग -10 की कहानी (Kahani)

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रि सारिका की गोद में लेटा हुआ था और सारिका उसके सर पर हाथ फेर रही थी। आप पढ़ रहे हैं सारिका भाग -10 की कहानी (Kahani)।थोड़ी देर शांत रहने के बाद सारिका बोली, हरि क्या तुम मुझसे शादी करोगे?  उत्तर में हरि ने कहा, सारिका..हम दोनों को मिले अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है..पहले तुम मुझे अच्छे से जान तो लो..फिर शादी के बारे में सोचना..और फिर क्या पता 1-2 हफ्ते मेरे साथ रहने के बाद तुम कभी भी मुझसे मिलना न चाहो..वैसे भी मेरे पास एक लड़की को देने के लिए कुछ अच्छा भविष्य नहीं है..शायद इसलिए तुम मेरी जिंदगी की पहली लड़की हो और हो सकता है कि आखिरी भी तुम ही हो..मैं उन सामाजिक आदमियों में से नहीं हूं जिनको शादी करने की बहुत जल्दी रहती है..न उनके पास बीवी और बच्चों को खुश रखने के लिए पैसा होता है। खुद की इच्छाएं तो उनकी मर ही चुकी होती है..फिर बीवी और बच्चों की भी इच्छाओं को मारते हैं। ये सब कहकर हरि एकदम चुप हो गया।

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सारिका की गोद में सर रख कर लेटे हुए हरि के माथे को चूमते हुए सारिका कहने लगी, हरि..मैं तो तुमको बुद्धू समझती थी..लेकिन तुम तो बुद्ध निकले..ऐसे आदमी को भला कौन लड़की नहीं चाहेगी जो लड़की की ख्वाइशों को भी पूरा करना चाहता है..ये बात सच है कि लड़की जब भी किसी मर्द को चुनती है तो सबसे पहले ये देखती है कि वो उसकी जरूरतों को पूरा कर पाएगा भी या नहीं..लेकिन लड़की की जरूरत सिर्फ पैसा होती है..ये तुमको किसने बताया..पैसा भी लड़की की जरूरत होती है लेकिन इतनी नहीं जितना कि तुम समझ रहे हो..बस पर्याप्त पैसा हो उसके मर्द के पास और वो सिर्फ उससे प्यार करे..किसी और लड़की की तरफ आंख उठाकर भी न देखे..ये ही छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है बस एक लड़की की..अपने मर्द को अपने बच्चे के जैसे प्रेम करना चाहती है..अपने मर्द की शारीरिक और मानसिक जरूरतों का ख्याल रखना चाहती है एक लड़की। लेकिन ज्यादातर सामाजिक पतियों ने लड़कियों की छवि को इस कदर दर्शाया है कि लड़कियां भी लड़कों के विरोध में खड़ी होने लगी हैं।


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सारिका कृष्ण की तरह उपदेश दिए जा रही थी और हरि आराम से उसकी गोद में लेटा हुआ था। सारिका ने बताया, हरि तुम ज्यादा तेज़ लड़के नहीं हो..न ज्यादा फैशन करने वाले हो..लेकिन फिर भी मुझे तुम ही अच्छे लगते हो..क्योंकि मुझे पता है कि तुम जिसके एक बार हो गए उसको कभी भूल नहीं सकोगे..और हरि तुम्हारी एक वो बात मुझे बहुत अच्छी लगी जब तुमने मुझे तुम्हारे करीब आने से पहले रोक कर कहा कि अगर मैं तुमको छोड़ कर कभी जान चाहती हूं तो पास मत आओ..हरि मैं तुम्हे एक बात बताना चाहती हूं..इस दुनिया में कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता..ये इस संसार का नियम है..हम दोनो एक दूसरे से बेशक कभी अलग न भी हों..लेकिन फिर भी एक न एक दिन प्रकृति हम दोनो को अलग कर ही देगी..मृत्यु के बाद अलग होना ही पड़ता है सबको..मिलना और बिछड़ना..यही तो नियम है संसार का..मुझे तुमसे उस दिन मिलवा दिया विधाता ने..मिलना ही था हमको..बिछड़ना भी पड़ेगा कभी न कभी..लेकिन भरोसा रखो..ये बिछड़ना मेरी तरफ से नहीं होगा।


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तभी हरि एकदम सारिका की गोद में से उठ कर उसके सामने हाथ जोड़कर बैठ गया और बोला, लेकिन हे माधव..अभी भी मेरे मन में बहुत से संशय जन्म ले रहे हैं। सारिका समझ गई कि हरि उसका मजाक बना रहा है। सारिका मुस्कुराते हुए बोली, सुधर जा मेरे मजनू..वरना bed के नीचे से मेरा सुदर्शन चक्र उठा कर बहुत मारूंगी। हरि हंसते हुए बोला..यार तुम तो एकदम कृष्ण की तरह उपदेश दे रही थी..अच्छा अब मुझे अपनी गोद में दुबारा से लेटाना है या फिर तुमको अपने laptop पर काम खत्म करना है? सारिका बोली, अरे नहीं अब तो तकिए पर ही लेट जाओ..मैं तो मेरा ऑनलाइन काम खत्म करूंगी..अगर एक कप कॉफी पीला दो तो मेहरबानी होगी। जैसी आपकी आज्ञा माधव, हरि मुस्कुराते हुए ये बोलकर कमरे से बाहर चला गया।


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थोड़ी देर में हरि एक चाय गर्म रखने वाली बोतल और दो कप के साथ कमरे में आया। सारिका ने पूछा कि ये किसकी बोतल उठा लाए? हरि बोला कि 5-6 कप कॉफी के बनवाकर इसमें डलवा लिए, रिसेप्शन वाले के पास ये पड़ी थी..मैने बोला कि मैडम को देर तक ऑनलाइन काम करना है..इसलिए थोड़ी थोड़ी देर में पीती रहेगी..वरना बार बार मुझको परेशान करेगी..इसलिए उसने इस बोतल में 5 कप कॉफी के बनाकर डाल दिए। सारिका बोली, परेशान होते हो तो क्यों जाते हो मेरे लिए कॉफी लेने..पहले ही बोल देते। हरि बोला, अरे यार ये तो उससे ये बोतल लेने के लिए बोला था मैने..मैं तुमसे परेशान नहीं हूं..तुम ही मुझसे परेशान हो जाओगी बहुत जल्दी। सारिका शरारती अंदाज में बोली, चल चल..कप में कॉफी डाल..बड़ा आया मुझे परेशान करने वाला..परेशान तो मैं तुमको करूंगी..एक बार ऑनलाइन काम खत्म करके भेज दूं।


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उस रात हरि जब भी नींद से जगा, सारिका laptop पर ही काम कर रही थी। फिर नींद में सोते सोते हरि को सारिका के शरीर की गर्माहट महसूस हुई। शायद सुबह के 3 बजे होंगे जब सारिका ने ऑनलाइन काम खत्म करके आराम करने की सोची होगी। सारिका हरि के पीछे एकदम करीब होकर अपना एक हाथ हरि के ऊपर रख कर सो गई। ये कहानी (Kahani) ज़ारी रहेगी...


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