सुबह सारिका उठी तो वो अपना सर पकड़े हुई थी।{ आप पढ़ रहे है सारिका भाग - 8 की कहानी (kahani)} हरि बोला, MAGIC MOMENTS कम पड़ गए हो तो और लाऊ। सारिका ने करहाते हुए कहा, अरे नहीं यार आज के बाद इतनी नहीं पियूंगी..मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है..कुछ करो। तभी हरि बोला, रात किया तो था..वो कम रह गया क्या? सारिका ने एकदम हैरानी से पूछा, रात क्या किया तुमने? हरि बोला, सब कुछ..जो भी तुम सोच रही हो उससे कहीं ज्यादा..तुम्हारे सोने से पहले और तुम्हारे सोने के बाद। सारिका एक लम्हे के लिए कुछ सोचने लगी और फिर बोली, तुम झूठ बोल रहे हो न हरि? हरि गंभीर सा मुंह बनकर बोला, नहीं सारिका..रात हम दोनो के बीच बहुत कुछ हुआ था..तुमको अच्छा न लगा हो तो छोड़ कर चली जाओ। सारिका मुस्कुराते हुए बोली, हरि तुमको झूठ भी बोलना नहीं आता..तुम मेरी पसंद हो और मेरे साथ जो भी चाहो कर सकते हो लेकिन मुझे तुम्हारी हद का अच्छे से पता है..काश तुमने रात को कुछ किया होता। हरि बोला, तुम एकदम पागल लड़की हो सारिका..अगर हर रोज़ मुझे emotional blackmail करके पिलानी हो तो तुम्हारा और मेरा साथ भूल जाओ। सारिका सर पकड़ते हुए बोली, अरे यार नहीं पिलाऊंगी जबरदस्ती तुमको..please मेरे लिए एक कप कॉफी बनवादो यार। हरि रिसेप्शन पर गया और दो कप कॉफी के लिए बोल आया।
हरि कमरे में आकर बेड के सिरहाने कंबल के एक तरफ बैठ गया। तभी सारिका उसकी गोद में सर रख कर लेट गई और बोली, थोड़ी देर लेटने दो यार हरि। हरि भी ऐसे में क्या करता, सारिका पहले ही सर पकड़े हुए थी। सारिका का सर दबाते हुए हरि बोला, सारिका रात तुमने जो भी किया वो मुझे पसंद नहीं आया। सारिका बोली, अरे यार..मुझे भी पसंद नहीं आया जो कुछ मैने किया..बस तुम्हारे साथ अच्छा लग रहा था..इसलिए अपने आपको रोका नहीं..लेकिन तुम इतनी पीकर भी होश में कैसे थे? हरि ने कहा, सारिका..मेरे होश कभी गुम नहीं होते..चाहे मैने कितनी भी पी रखी हो। तभी सारिका ने हरि का हाथ पकड़ा और उसको चूम लिया। सारिका बोली, मुझे पता है रात तुम मुझसे तंग हो गए थे..और हो सकता है आज मुझे किसी और होटल में जाना पड़े..क्योंकि तुम मुझे अच्छी लड़की नहीं समझते..लेकिन हरि मुझे एक मौका और चाहिए..फिर भी अगर तुम अकेले रहना चाहते हो तो मैं नहीं रोकूंगी। हरि बोला, सारिका..रात गई बात गई..मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं..कुछ है जो मुझे तुम में अच्छा लगने लगा है..लेकिन इतनी दुबारा कभी मत पीना।
तभी बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया। सारिका बोली, लगता है कॉफी आई है। हरि उठा और दरवाजे के बाहर खड़े बंदे से कॉफी लेकर एक कॉफी सारिका की तरफ रखी मेज पर रख दी और अपनी कॉफी लेकर वापिस बेड पर आ गया। सारिका ने जल्दी जल्दी कॉफी पी और दुबारा से हरि की गोद में सर रख कर लेट गई। हरि ने अभी कॉफी खत्म नहीं की थी। कॉफी पीते पीते हरि ने सारिका से पूछा, आज कहां घूमना है सारिका? सारिका बोली, अभी तो कहीं जाने का मूड नहीं है यार..दोपहर तक अगर तबियत ठीक हुई तो कही चलेंगे..वरना तो कंबल में ही ठीक हूं। कॉफी खत्म करके हरि बोला, कहीं नहीं जाना तो बैठ कर भी क्या करेंगे..मैं भी थोड़ा लेट जाता हूं। तभी सारिका बोली, ये कहो ना कि गोद में नहीं लेटाना मुझको। चलो ठीक है लेटी रहो मेरी गोद में, हरि बोला। सारिका हरि की टांग को कस कर जकड़ते हुए बोली, हां..अब ठीक है..थोड़ी देर तुम्हारी गोद में लेटूंगी तो ठीक हो जाऊंगी। हरि ने अपना फोन लिया और फोन में busy हो गया। सारिका बोली, अरे यार बंद करो अपना फोन..पूरी तरह से मेरे साथ रहो बस..मेरे बनकर। हरि ने अपना फोन एक तरफ रख दिया। सारिका फिर से बोली, हरि..मुझे kiss करना चाहोगे क्या..2 दिन से तुम्हारे साथ रह रही हूं..इतना कंट्रोल क्यों करते हो खुद को..खुद को रोक रोक कर ही तो तुम ऐसे हो गए हो..मेरे लिए तो ये अच्छा है कि तुम ज्यादा चतुर नहीं हो..लेकिन इतना भी मत रोका करो खुद को।
हरि बोला, थोड़ा सो जाओ सारिका..आज तो बिना पीए ही बहकी हुई सी नज़र आ रही हो। मुझे kiss करो हरि..मुझे पता है कि तुम मुझे कभी kiss नहीं करोगे जब तक मैं तुमको करने के लिए न बोलूं, सारिका बोली। हरि ने कहा, सारिका..तुम फिर से सोच लो..मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊंगा अगर मैने तुमको kiss किया। वो तुम मुझ पर छोड़ दो..मैंने तुमको कंट्रोल करने के लिए नहीं बोला, सारिका ने कहा। जैसे अर्जुन को सिर्फ चिड़िया की आंख दिखाई दे रही थी महाभारत में..उसी तरह इस वक्त हरि को भी सिर्फ सारिका के होठ दिखाई दे रहे थे। अगले ही पल सारिका बोली, चिंता मत करो..इस वक्त जो भी इच्छा है..वो पूरी कर लो। जैसे ही दोनों के होठ एक दूसरे के होठों से मिले, उनकी सांसे तेज़ होने लगी। शरीर के अंदर खून तेज़ी से दौड़ने लगा। दोनों एक दूसरे के वस्त्र इतनी तेज़ी से उतर रहे थे जैसे की कोई ठंडी रात में वस्त्र भीगने पर उतारता है। तभी बीच में एक विराम आया। हरि बोला, सारिका मैने ये पहले कभी किया नहीं है..इसका पूरा अनुभव मुझे नहीं है। फुसफुसाती हुई सी आवाज में सारिका बोली, कुछ मत सोचो..बस मेरे साथ बह जाओ..पहली बार में सभी के साथ ऐसा ही होता है..तुम सिर्फ मेरे ऊपर लेट जाओ..बाकी मैं जो कहूं..वो करते जाना। हरि वोही करता गया जो सारिका ने करने के लिए बोला। थोड़ी ही देर में सारिका की आवाज सिसकियों जैसी मालूम होने लगी। हरि को ऐसा लगा जैसे सारिका दर्द में ऐसा कर रही है। हरि एक क्षण को रुक कर और सारिका से पूछने लगा, क्या तुम ठीक हो सारिका..कर्राह क्यों रही हो? तभी सारिका बोली, मूर्खता छोड़ो और सिर्फ करते रहो।
कुछ लम्हों तक बेड की चूं चूं की और सारिका की सिसकियों की आवाज आती रही और फिर एकदम से सब शांत हो गया। हरि सारिका के ऊपर एकदम निढाल पड़ा था। उसको ऐसा अनुभव जिंदगी में पहले कभी नहीं हुआ। थोड़ी देर सारिका के ऊपर लेटने के बाद हरि बेड के एक तरफ लेट गया। सारिका बोली, तुम मुझे प्यारे भी लगते हो और पागल भी..ये सब तुमने रात किया होता तो तुमको छोड़ कर चली जाती सुबह ही..क्योंकि मुझे हरि का प्यार भी चाहिए। सारिका फिर से बोली, तो कैसा लगा पहला अनुभव मेरी जान? हरि ने मुस्कुराते हुए कहा, बता नहीं सकता..अगर तुम सारिका नहीं हरि होती..तो ही जान पाती कि पहला अनुभव कैसा लगा। हरि ने हिचकिचाते हुए सारिका से पूछा, सारिका..क्या हम ये दुबारा कर सकते हैं? सारिका बोली, कर सकते हैं लेकिन हरि अभी तो नहा कर कुछ खा लेते है..रात को जितना चाहो कर सकते हो..मैं मना नहीं करूंगी। हरि ये कह कर बेड से उठ गया कि चलो फिर पहले मैं नहा आता हूं..फिर तुम भी नहा लेना।
Note - कहानी (Kahani) जारी रहेगी..
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