सारिका भाग -7 की कहानी (Kahani)

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सारिका की गोद में जब हरि नींद के आगोश से बाहर आया तो सारिका बोली, तुम तो बिल्कुल बच्चों के जैसे सो जाते हो गोद में। {आप पढ़ रहे हैं सारिका भाग -7 की कहानी (Kahani)}हरि बोला, माफ करना..मेरी मां की गोद के बाद आज से पहले किसी और नारी की गोद में नहीं लेटा था। सारिका बोली, कोई बात नहीं अगर नींद आ गई थी..तुम जब चाहो मेरी गोद में सो सकते हो..मुझे कोई परेशानी नहीं होगी। शाम के 6 बज चुके थे और अंधेरा भी हो गया था। हरि बोला, रात का खाना खाने बाहर चलें? सारिका ने कहा कि बाहर जाने का उसका मूड नहीं है। इसपर हरि बोला, तो दोनों के लिए खाना यहीं ले आता हूं रेस्टोरेंट से पैक करवा कर। सारिका ने हामी भर दी। हरि बाहर जाने के लिए अपने जूते पहन रहा था तो सारिका ने पूछा, हरि तुम शराब पीते हो क्या? हरि ने उत्तर दिया, हां कभी कभी दोस्तों के साथ पी लेता हूं। सारिका ने फिर से पूछा, मैं भी तो अब तुम्हारी दोस्त हूं..मेरे साथ पीना पसंद करोगे क्या? हरि ने हैरानी दर्शाते हुए कहा, सारिका क्या तुम शराब भी पीती हो? सारिका बोली, मेरी मां और पिता जी भी पीते है कभी कभी मेरे साथ बैठ कर। हरि ने बात को ज्यादा न खींचते हुए पूछा, कौन सी ब्रांड पियोगी? सारिका ने उत्तर दिया, मैजिक मोमेंट ले आना। 

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सारिका ने अपने पर्स से 2000 रुपए निकालकर हरि की तरफ करते हुए कहा, ये लो पैसे..मैं तुम पर बोझ नहीं बनना चाहती..कल से तुम ही खर्चा कर रहे हो। हरि बोला, मेरे पास पर्याप्त पैसे है..तुम्हारे पैसों की अभी जरूरत नहीं। सारिका बोली, ठीक है..लेकिन पैसों की जरूरत हो तो हिचकिचाना मत..मेरे लैपटॉप से मैं अच्छा खासा कमा लेती हूं। हरि, ठीक है, बोलते हुए कमरे से बाहर चला गया। बाजार के लिए सिर्फ 5 मिनिट पैदल चलना पड़ता था। हरि 15 मिनिट में ही खाना और शराब की बोतल ले आया तथा साथ ही 2 SODA water bottle भी ले आया। Soda bottle देखकर सारिका बोली, ओह..तो जनाब Soda के साथ पीना पसंद करते हैं। हरि बोला, शायद तुम NEAT ही पीना पसंद करती हो। सारिका ने उत्तर दिया, अरे नहीं..मैं भी SODA के साथ ही पीती हूं यार..इस वक्त तो मुझे ठंड लग रही है..जल्दी से 2 पैग बनाओ..बातें करने को तो सारी रात पड़ी है, अभी खाना भी गरम है। हरि ने मेज पर रक्खे दो कांच के गिलास उठाए और उनको आधा MAGIC MOMENTS से तथा थोड़ा सा सोडा से भर दिया। अगले ही लम्हे दोनों ने CHEERS बोल दिया। एक पैग पीते ही हरि की आत्मा जाग गई, दिमाग के सारे पेंच खुल गए और जो उसके ज़हन में हिचकिचाहट थी, वो भी रफूचक्कर हो गई।

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सारिका सलाद खाने लगी तो हरि बोला, रुको यार सारिका.. एक एक और हो जाए..फिर खायेंगे जो भी खाना है। सारिका मुस्कुराते हुए बोली, क्या बात है मेरे शेर..आखिर आ ही गया ना अपनी पर..बनाओ एक और। अगले ही पल दूसरा पैग भी शरीर के अंदर जा चुका था। फिर हरि बोला, दाल मखनी खा कर देखो सारिका..बनाई तो अच्छे से थी लेकिन taste का पता नहीं। सारिका ने एक चम्मच दाल मुंह में डालते हुए कहा, वाह मज़ा आ गया। फिर क्या था, कभी हरि सारिका को पैग बनाने को बोलता तो कभी सारिका हरि से पैग बनवाती। 15 मिनिट के अंदर ही दोनों की जुबान लड़खड़ाने लगी। हरि को होश से बाहर पीने की आदत नहीं थी तो वो बोला, सारिका मैं और नहीं पियूंगा यार। तभी सारिका गंभीर सा मुंह बनाते हुए लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली, अपनी माशूका को बीच में छोड़ दिया। मेरे साथ जश्न में नहीं चल सकता तो जिंदगी में क्या चलेगा तू हरि यार। हरि बोला, सारिका..तुमको बहुत चढ़ गई है..अब बस करते हैं। सारिका फिर से लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली, हरि..तू मुझे अच्छा लगता है यार..होश में भी और पीने के बाद भी..लेकिन अगर तुमने ये बोतल मेरे साथ आज रात खत्म नहीं की..तो तेरी मेरी कट्टी..अभी रूम छोड़कर दूसरे होटल चली जाऊंगी..अब तुझको निर्णय लेना है कि तुझे सारिका चाहिए या नहीं। हरि मन ही मन सोच रहा था कि इस बेवड़ी के साथ पीकर गलती कर दी..ये तो पीकर बहक जाती है। 

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सारिका फिर से बोली, जल्दी सोच..तुझे सारिका चाहिए या नहीं..सारिका को तो तू चाहिए..लेकिन तुझको अभी तराशना है मेरी जान..तू अभी कोयले की खान में पड़ा हीरा है..इत्तेफाक से मेरे हाथ लग गया बस के सफर में। सारिका ने गिलास उठाकर उनको आधे से ज्यादा भर दिया और थोड़ा सा soda डालते हुए बोली, चल पी ले अच्छा बच्चा बनकर, वरना मैं चली दूसरे होटल। हरि ने चुप चाप गिलास उठाया और पी गया। हरि ने जैसे ही गिलास मेज पर रखा, सारिका ने फिर से उसको भर दिया और बोली, मेरी जान..आज रात इस कमरे में या तो MAGIC MOMENTS रहेगी या फिर मैं..इस बोतल को मेरी सौतन समझ..खत्म करदे इसको। हरि को पता था कि सारिका की मर्ज़ी पूरी नहीं हुई तो वो और ज्यादा नौटंकी करेगी, इसलिए उसने पैग उठाया और पी गया। सारिका भी साथ ही साथ पैग पर पैग पीती जा रही थी। 15 मिनिट बाद MAGIC MOMENTS की बोतल में कुछ भी नहीं था। फिर सारिका ने थोड़ा सा सलाद उठाया और हरि के मुंह में डाल दिया। हरि बोला, मैं खा लूंगा यार सारिका। सारिका बोली, नहीं पिलाई मैने है तो खिलाऊंगी भी मैं ही..चुप चाप खाते रहो। सारिका अपने हाथों से हरि को भी खिला रही थी और खुद भी खा रही थी।

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खाना खत्म करके सारिका बेड के सिरहाने बैठ गई और हरि की तरफ दोनों हाथ करते हुए बोली, आजा मेरा बेबी..मेरी गोद में सोजा। हरि मन ही मन सोच रहा था कि सारिका कोई लड़की नहीं बल्कि चलती फिरती मुसीबत है। हरि कंबल के एक तरफ लेटते हुए सारिका को बोला, सारिका अब तुम सो जाओ..तुम थक गई हो..गोद में मैं सुबह लेट जाऊंगा। तभी सारिका गंभीर स्वर में बोली, अभी और इसी वक्त मेरी गोद में लेटो..वरना मैं चली किसी और होटल में। हरि बेचारा क्या करता, अगर सारिका होश में होती तो वो कह भी देता कि जाओ जहां जाना है, मेरा पीछा छोड़ो। लेकिन वो पीए हुए थी, उसकी मर्ज़ी न मानना मतलब..नौटंकी शुरू। हरि उसकी गोद में जा कर लेट गया। सारिका कभी हरि की पीठ को सहलाती तो कभी सर पर हल्के हाथों से मालिश करती। उसकी गोद में लेटे हुए हरि को फिर से नींद आ गई। जब रात को हरि की नींद खुली तो सारिका वैसी ही बैठी हुई सो रही थी। उसने सारिका को ठीक से लेटाया और खुद भी बिस्तर के एक तरफ लेट गया।

Note - कहानी (kahani) जारी रहेगी..

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